Kargil Vijay Diwas: Rajasthan's Immortal Heroes' Story

कारगिल विजय दिवस: राजस्थान के वीरों की अमर गाथा


26 जुलाई का दिन हमारे देश के लिए सिर्फ एक तारीख नहीं है, यह अनगिनत बलिदानों, वीरता और मातृभूमि के प्रति अनूठे समर्पण की कहानी है जो हर भारतीय के दिल में गहराई से समाई हुई है। कारगिल विजय दिवस, वह दिन जब हम देश की सीमाओं की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले हमारे वीर सैनिकों की बहादुरी और साहस को सलाम करते हैं।

यह युद्ध जब चल रहा था तब मैं सिर्फ 12 साल का था। जब हमारे वीर शहीदों की पार्थिव देह घर आने की खबरें मिलतीं। मैं भावुक हो जाता था। अपने शिक्षक पिता से युद्ध और शहीदों को लेकर तमाम सवाल पूछता था। जवाब मिलता था कि ये लोग हैं तभी हम चैन से सो पाते हैं। पिताजी कहते थे कि हमें चिंता करने की जरूरत नहीं हैं, हमारी भारत मां के बेटे सीमा पर जब तक तैनात है हमारे देश पर कोई आंच नहीं आ सकती।

आज सालों बाद जब मैं विदेश जाता हूं तो लोग मिलते हैं और जब यह जानते हैं कि मैं राजस्थान से हूं तो विशेष सम्मान और स्नेह देते हैं। लोग हमें हमारे इतिहास की वजह से और हमारे वीरों—वीरांगनाओं के कारण यह सम्मान देते हैं। दुनिया के कण—कण में राजस्थान के वीरों की कहानी भरी पड़ी है। क्योंकि राजस्थान की धरती ने हमेशा वीरों को जन्म दिया है। संस्कृति और इतिहास से समृद्ध इस धरती ने ऐसे योद्धाओं को जन्म दिया है जिनकी बहादुरी की कहानियाँ समय के साथ गूंजती रहती हैं।

इस धरती के वीरों ने न केवल अपने राज्य बल्कि पूरे देश का नाम गर्व से ऊंचा किया है। कारगिल युद्ध में राजस्थान के वीर सपूतों ने अपनी अद्वितीय वीरता और पराक्रम का ऐसा परिचय दिया कि दुश्मन देश की रूह आज भी कांपती है। जब दुश्मनों ने हमारे देश की सीमाओं को लांघने का प्रयास किया, तो राजस्थान के वीर जवानों ने अदम्य साहस के साथ जवाब दिया और यह बता दिया कि दोहराते हैं सुनो रक्त से लिखी हुई कुर्बानी। जिसके कारण, मिट्टी भी चन्दन है राजस्थानी॥

शहादत राजस्थान के लोगों की परम्परा ही रही है। यहां के लगभग प्रत्येक गांवो में लोक देवताओं की तरह पूजे जाने वाले शहीदों के स्मारक इस महान और बलिदानी परम्परा के प्रतीक हैं।

राजस्थान के वीरों की वीरता

राजस्थान के वीर जवानों की गाथा सुनकर आंखों में गर्व के आंसू आ जाते हैं। अलवर के कैप्टन सौरभ कालिया और उनके साथियों की कहानी प्रत्येक भारतीय के दिल को छू जाती है। 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान जब दुश्मनों ने हमारी सीमा में घुसपैठ की, तो कैप्टन कालिया और उनके साथियों ने देश की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। ​कारगिल युद्ध में दुर्गम बाधाओं के बावजूद उनकी वीरता हमें बहादुरी के असली सार की याद दिलाती है।

हमारे कोटा के स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा की शहादत ने तो राजस्थान को सबसे पहले हिला कर रख दिया था। इसके बाद तो जैसे बलिदान की कतार सी लग गई, लेकिन सवाल का देश का था। देश की आबरू का था। किसी ने भी इस महान देश की महान बलिदान परम्परा को पीछे नहीं रहने दिया और आपरेशन विजय की सफलता में प्राणों की बाजी लगाने से भी पीछे नहीं हटे।

सबसे कठिन परिस्थितियों के बावजूद हमारे सैनिकों का समर्पण और बलिदान राष्ट्र के प्रति उनकी अडिग निष्ठा का प्रमाण है। उनके अद्वितीय साहस और वीरता की गाथा हर भारतीय के लिए प्रेरणा है, जो हमें सिखाती है कि सच्चे देशभक्त किसी भी परिस्थिति में अपने कर्तव्यों से पीछे नहीं हटते।

वीरांगनाओं का योगदान

राजस्थान की वीरांगनाओं ने भी इस युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अपने पति, पुत्र और भाइयों के पीछे खड़ीं इन वीरांगनाओं ने अटूट समर्थन और प्रेरणा प्रदान की। जब उनके प्रियजन युद्ध के मैदान में दुश्मनों से लड़े और लौटे या तिरंगे में लिपटकर खामोा लौटे तो इन्हीं वीरांगनाओं ने शक्ति और बलिदान की प्रतिमूर्ति बनकर दिखाया। इनका साहस और धैर्य हमारी पूरी माटी के गौरव का आधार तय करता है। वे हमारे समाज की सच्ची नायिकाएं हैं, जिन्होंने अपने परिवार और राष्ट्र की सुरक्षा के लिए अपने प्रियजनों को युद्ध के मैदान में भेजा और आगे भी भेजते रहने के लिए संकल्पित हैं।

समर्पण और बलिदान की अमर गाथा

कारगिल विजय दिवस हमारे लिए सिर्फ एक जीत नहीं है; यह उन अनगिनत बलिदानों की अमर गाथा है जो हमारे वीर सैनिकों ने देश की रक्षा के लिए दिए हैं। इस जीत में राजस्थान के वीर सपूतों का योगदान अद्वितीय है। उनका पराक्रम और साहस हमें सिखाता है कि मातृभूमि की रक्षा के लिए कोई भी बलिदान बड़ा नहीं होता।

शहीदों को याद करते हुए आज जब हम कारगिल विजय दिवस मना रहे हैं, तो हमें उन शहीदों को याद करना चाहिए जिनके बलिदान से यह जीत संभव हुई। राजस्थान की रेत से निकले इन बहादुर आत्माओं ने हमारे इतिहास पर एक अमिट छाप छोड़ी है। वीरता और बलिदान की उनकी कहानियाँ हमें प्रेरित करती रहेंगी, हमें उन मूल्यों को बनाए रखने का आग्रह करती रहेंगी जिनके लिए उन्होंने लड़ाई लड़ी।

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पीढ़ियों के लिए प्रेरणा

राजस्थान के वीर सैनिकों की वीरता और साहस हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेगा। उनकी गाथा हमें अपने देश के लिए हर संभव प्रयास करने और अपने कर्तव्यों को पूरी लगन से निभाने के लिए प्रेरित करती है। उनकी बहादुरी की कहानियाँ सिर्फ कहानियाँ नहीं हैं, बल्कि देशभक्ति और बलिदान का पाठ हैं। वे हमें सिखाते हैं कि हमारी मातृभूमि के लिए प्यार सभी सीमाओं को पार करता है और हमें इसकी रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए, चाहे इसके लिए हमें कोई भी कीमत चुकानी पड़े।

अटूट भावना को श्रद्धांजलि दें

कारगिल युद्ध में राजस्थान के वीर सपूतों का बलिदान न केवल राज्य के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय है। इन वीर जवानों ने अपने प्राणों की आहुति देकर यह साबित किया कि देश की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाया जा सकता है। उनके बलिदान को हमेशा याद रखा जाएगा और उनकी वीरता की कहानियाँ आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी।

आज, जब हम कारगिल युद्ध के नायकों को याद करते हैं, तो आइए हम उनकी अडिग भावना और राष्ट्र के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता को श्रद्धांजलि दें। आज भी जब मैं इन महान यौद्धाओं की गाथाएं सुनता हूं तो सीना गर्व से भर जाता है और मुझे गर्व है कि इस मिट्टी ने हमें देश के लिए बलिदानी परम्परा में आगे बढ़ना सिखाया। कारगिल युद्ध में राजस्थान के वीर सपूतों ने जो साहस और बलिदान दिखाया, वह हमेशा हमारी स्मृतियों में अमर रहेगा। उनके बलिदान को हम सलाम करते हैं और उनकी वीरता को नमन करते हैं। जय हिंद!

सीताराम पोसवाल


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