है प्रीत जहां की रीत सदा, मैं गीत वहां के गाता हूं, भारत का रहने वाला हूं, भारत की बात सुनाता हूं…। यह नगमा मैं स्कूल में पढ़ते वक्त हमेशा गुनगुनाता था। हमारे देश के गौरवशाली इतिहास में बीते सैकड़ों सालों में ऐसा कोई अवसर नहीं आया, जब हमने किसी अन्य राष्ट्र पर हमला किया हो अथवा किसी भी युद्ध का समर्थन किया हो। हां! हमारी सुरक्षा पर खतरा आने पर हमने हमेशा मुंह तोड़ जवाब दिया है।
शांति मंत्र सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है कि भारत ही दुनिया में शांति चाहने और प्रयास करने वाला सबसे अग्रणी देश है। हाल ही में हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी ने जिस तरह पहले रूस और बाद में युक्रेन की यात्रा करके शांति के लिए जो राजनीतिक और कूटनीतिक प्रयास किए हैं, वे स्तुति योग्य हैं। इन प्रयासों ने भारत की महत्ता को और बढ़ाया है और सही मायनों में विश्वगुरू होने की दिशा में हमारे कदम और भी मजबूत हुए हैं। ऐसे में हमारे देश के प्रति, हमारे नेता के प्रति गर्व से नतमस्तक होने का मन स्वत: करता है।
जब दो देशों में युद्ध की विभीषिका हो और कोई नेता ऐसे प्रयास करे। ऐसा कम ही देखा गया है। अन्य देश जहां गुटबाजी और प्रतिबंधों की भाषा बोल रहे हैं। ऐसे में एक ही नेता दुनिया में ऐसा है जो शांति की बात कर रहा है और कह रहा है कि गले मिलिए और अमन की बात कीजिए। अमन लाइए और शांति के लिए सही मायनों में प्रयास कीजिए। प्रधानमंत्रीजी ने कहा भी है कि यह वक्त युद्ध का नहीं है। कतई नहीं है। इससे पहले भी जिस तरह से युद्ध की शुरूआत में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय बच्चों को वहां से निकाला। जिस तरह से मोदी की अपील पर युद्ध रुका। दुनिया को आज भी विश्वास है कि युद्ध रुक सकता है तो मोदी की वजह से। भारत की वजह से। भारत ही शांति का सबसे बड़ा पक्षधर है।
मोदीजी विश्वनेता हैं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में, भारत ने वैश्विक शांति की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। उनकी संतुलित कूटनीति और शांति के प्रति अडिग प्रतिबद्धता ने भारत को एक महत्वपूर्ण वैश्विक खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है। उनकी नीतियों और कार्यों के कारण आज भारत को विश्वभर में शांति का समर्थक माना जाता है। प्रधानमंत्री मोदीजी के नेतृत्व में, भारत ने शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए कई सार्थक कदम उठाए हैं, जो भविष्य में वैश्विक शांति के लिए एक मजबूत आधार बन सकते हैं। इसी वजह से उन्हें विश्वनेता कहा जाता है।
भारत शांति का उपासक है
भारत को हमेशा से शांति का उपासक माना गया है। भारत ने अपनी विदेश नीति में इस सिद्धांत को प्रमुख स्थान दिया है। हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदीजी के नेतृत्व में, भारत ने वैश्विक मंच पर शांति के लिए अपनी प्रतिबद्धता को जिस तरह से मजबूत किया है, वह अतुल्य है। प्रधानमंत्रीजी ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रतिनिधि के रूप में, शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए हमेशा से ही सार्थक प्रयास किए हैं। उनकी नीतियों और सकारात्मक कार्यों के कारण आज भारत न केवल अपने पड़ोसियों के साथ बल्कि दुनिया के प्रमुख देशों के साथ भी सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने में सफल हुआ है।
मोदीजी की वैश्विक शांति के प्रति प्रतिबद्धता
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदीजी का नेतृत्व भारत के वैश्विक दृष्टिकोण में एक नई दिशा लेकर आया है। उन्होंने सदैव शांति और सह-अस्तित्व की भावना को अपनी नीतियों में प्राथमिकता दी है। मोदीजी के नेतृत्व में, भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर शांति स्थापना के लिए अपनी सक्रिय भूमिका को सतत रूप में प्रदर्शित किया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने यह स्पष्ट किया है कि किसी भी विवाद का समाधान युद्ध के माध्यम से नहीं, बल्कि संवाद और कूटनीति के माध्यम से होना चाहिए। उनकी इस सोच को विश्वभर में सराहा जा रहा है और उन्हें दुनिया के लोग एक शांति दूत के रूप में देखा रहे हैं।
यूक्रेन और रूस के संघर्ष में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीजी की यूक्रेन यात्रा ने वैश्विक शांति के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को और भी अधिक स्पष्ट किया है। यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे संघर्ष में, भारत ने जिस प्रकार से संतुलन साधने का प्रयास किया है। वह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के संतुलित दृष्टिकोण का प्रतीक है, जहां उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदोमीर ज़ेलेंस्की से मुलाकात की और शांति स्थापना के लिए भारत की भूमिका को स्पष्ट तौर पर रेखांकित किया।
मोदी ने अपने बयान में कहा कि युद्ध का समय नहीं है, और किसी भी समस्या का समाधान केवल संवाद और कूटनीति के माध्यम से ही संभव है। आपको याद होगा कि श्री मोदीजी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी यही बात कही थी कि रणभूमि में किसी भी समस्या का समाधान नहीं होता। यह बयान एक स्पष्ट संदेश था कि भारत शांति के पक्ष में खड़ा है और युद्ध के खिलाफ है।
रूस और यूक्रेन के बीच शांति स्थापना में भारत की भूमिका
यूक्रेन और रूस के बीच संघर्ष को समाप्त करने में भारत की भूमिका को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर चर्चा हो रही है। आपको ध्यान है कि भारत का रूस के साथ गहरा संबंध है और इसे बनाए रखना भारत की विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ऐसे में युद्ध को रुकवाने के लिए भारत की पहल महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि संवाद के बिना समाधान नहीं निकल सकता। प्रधानमंत्री मोदी ऐसे पहले पीएम हैं जो बीते तीन दशक में पहली बार यूक्रेन गए हैं। यूक्रेन से पहले वे पौलेण्ड के दौरे पर गए। पौलेण्ड भारत के प्रति द्वितीय विश्वयुद्ध में किए गए सहयोग के कारण एक अनूठा और श्रद्धा का भाव रखता है।
पश्चिमी देशों के लिए स्पष्ट संकेत
हमारे यशस्वी प्रधानमंत्रीजी का यूक्रेन दौरा पश्चिमी देशों के लिए एक स्पष्ट संकेत है कि भारत एक संतुलित विदेश नीति रखता है। यह एक साहस से भरा हुआ कूटनीतिक कदम है, जो श्री नरेन्द्र मोदी ही उठा सकते हैं। मोदीजी का प्रयास रूस और यूक्रेन के बीच सवाद का सेतु बांधने का है, जो वैश्विक शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
वैश्विक दक्षिण के प्रतिनिधि के रूप में भारत
इस दौरे में प्रधानमंत्री मोदीजी ने भारत की बात को, भारत के व्यवहार को और भारत की नीति को भी स्पष्ट किया है। मोदीजी ने कहा है कि यह समय युद्ध का नहीं, बल्कि बुद्ध का है। यह संदेश सिर्फ रूस और यूक्रेन के लिए नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए था। प्रधानमंत्रीजी ने इस बात पर जोर दिया कि वैश्विक दक्षिण, यानी विकासशील देशों के लिए भी शांति की आवश्यकता है, क्योंकि युद्ध का सबसे अधिक प्रभाव इन्हीं देशों पर पड़ता है।
हमारा देश भारत, जो वैश्विक दक्षिण का प्रतिनिधि है। उसने इस दौरे के माध्यम से यह संदेश दिया है कि शांति ही समाधान है और भारत इस दिशा में हर संभव प्रयास करेगा। प्रधानमंत्री मोदी की इस सोच को विश्वभर में सराहा जा रहा है और कहा जा रहा है कि यह भारत का एक सफल और सकारात्मक कदम है।
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प्रधानमंत्री मोदी की कूटनीति में संतुलन का महत्व
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कूटनीति का एक महत्वपूर्ण पहलू संतुलन बनाए रखना है। उन्होंने रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष में संतुलन साधने का प्रयास किया है। यह संतुलन भारत की विदेश नीति का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जहां भारत ने रूस के साथ अपने लंबे समय से चले आ रहे संबंधों को बनाए रखने के साथ-साथ यूक्रेन के साथ भी संबंधों को मजबूत किया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने इस संघर्ष को समाप्त करने के लिए बातचीत और कूटनीति की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि भारत शांति की स्थापना के लिए हर संभव प्रयास करेगा और इस दिशा में अपनी भूमिका निभाएगा। उनकी इस सोच को विश्वभर में सराहा गया है और उन्हें एक शांति दूत के रूप में देखा जाने लगा है।
वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका
प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में, भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर शांति स्थापना के लिए अपनी भूमिका को और भी अधिक महत्वपूर्ण बना लिया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा, जी-20, ब्रिक्स और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत ने सदैव शांति और स्थिरता की बात की है। प्रधानमंत्री मोदी ने इन मंचों पर भारत की सोच को स्पष्ट रूप से व्यक्त किया है कि किसी भी विवाद का समाधान केवल संवाद और कूटनीति के माध्यम से ही संभव है।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, भारत ने कई देशों के साथ शांति और सहयोग के नए आयाम स्थापित किए हैं। उन्होंने चीन, पाकिस्तान, अमेरिका, रूस और अन्य देशों के साथ संबंधों को सुधारने के लिए कई सार्थक कदम उठाए हैं। उनकी विदेश नीति का मूल उद्देश्य शांति और स्थिरता को बढ़ावा देना है, और इस दिशा में उन्होंने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
शांति के प्रति भारत की अडिग प्रतिबद्धता
विश्वनेता और हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की शांति के प्रति अडिग प्रतिबद्धता ने उसे वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है। उनकी नीतियों और कूटनीति के कारण आज भारत को शांति का समर्थक और एक जिम्मेदार वैश्विक गुरू माना जा रहा है। उन्होंने अपने नेतृत्व में शांति और सह-अस्तित्व की भावना को बढ़ावा दिया है और इसे अपनी विदेश नीति का मुख्य आधार बनाया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने कार्यों से यह साबित कर दिया है कि भारत केवल अपने लिए ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए शांति और स्थिरता चाहता है। उनकी इस सोच को विश्वभर में सराहा गया है और उन्हें एक शांति दूत के रूप में देखा जाने लगा है। उनका नेतृत्व भारत को एक नए दिशा में ले जा रहा है, जहां शांति, स्थिरता और विकास के मूल्यों को प्राथमिकता दी जाती है।