Indian Constitution
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भारतीय संविधान और 26 जनवरी : लोकतंत्र की एक महान परंपरा


26 जनवरी, 1950 का दिन भारतीय इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया है। इस दिन भारत ने न केवल अपने संविधान को लागू किया बल्कि एक मजबूत लोकतंत्र की नींव भी रखी। गणतंत्र दिवस केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि भारतीय संविधान की महानता, इसकी स्थिरता और इसके दूरदर्शी दृष्टिकोण को सम्मानित करने का अवसर है।

एक ऐसे देश में, जहां विविधताएं और जटिलताएं असीमित हैं, वहां संविधान का निर्माण करना अपने आप में एक अद्वितीय कार्य था। अति पिछड़े वर्ग से होने के नाते, मुझे व्यक्तिगत रूप से यह महसूस होता है कि संविधान ने हमारे जैसे करोड़ों लोगों को समानता और न्याय का अवसर प्रदान किया है। संविधान में निहित प्रावधानों ने पिछड़े वर्गों को मुख्यधारा में लाने का जो प्रयास किया, वह प्रशंसनीय है। यह हमारे संविधान की महानता का ही प्रमाण है कि आज भारत एक सशक्त लोकतंत्र के रूप में विश्व के सामने खड़ा है।

भारतीय संविधान: दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान

भारतीय संविधान की सबसे अद्भुत विशेषता यह है कि यह दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है। इसमें लगभग 1,45,000 शब्द, 470 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां और 5 अनुलग्नक हैं। इसकी व्यापकता का कारण यह है कि इसमें भारत की सांस्कृतिक विविधताओं, क्षेत्रीय विशिष्टताओं और सामाजिक-आर्थिक संरचनाओं को समाहित किया गया है।

संविधान निर्माण में डॉ. भीमराव अंबेडकर का योगदान विशेष उल्लेखनीय है। उन्होंने संविधान को एक ऐसा स्वरूप दिया, जिसमें न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के आदर्शों को सशक्त रूप से प्रस्तुत किया गया। संविधान की प्रस्तावना इन मूल्यों को स्पष्ट रूप से परिलक्षित करती है।

पिछड़े वर्गों के लिए संविधान के प्रावधान

संविधान ने सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में कई प्रगतिशील प्रावधान किए। अनुच्छेद 15 और 16 धर्म, जाति, लिंग, वंश या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव की स्पष्ट मनाही करते हैं। ये अनुच्छेद समाज के कमजोर वर्गों, विशेष रूप से अनुसूचित जातियों और जनजातियों को विशेष संरक्षण प्रदान करते हैं।

अनुच्छेद 46 के अनुसार, राज्य कमजोर वर्गों के शैक्षिक और आर्थिक हितों को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास करेगा और उन्हें सामाजिक अन्याय से बचाएगा। यह प्रावधान संविधान की दूरदर्शिता और समावेशिता को दर्शाता है।

मंडल आयोग और पिछड़े वर्गों का उत्थान

भारतीय संविधान में दिए गए प्रावधानों के आधार पर, पिछड़े वर्गों के लिए विशेष आयोगों की स्थापना हुई। अनुच्छेद 340 के तहत मंडल आयोग की स्थापना हुई, जिसने सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों की स्थिति की जांच की।

1990 में मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करना भारतीय राजनीति और सामाजिक न्याय की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम था। इसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की भूमिका अहम रही। लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में भाजपा ने इस प्रक्रिया का समर्थन किया, जिससे करोड़ों पिछड़े वर्गों को शिक्षा और रोजगार में आरक्षण के माध्यम से समान अवसर प्राप्त हुए।

संविधान की प्रमुख विशेषताएं

भारतीय संविधान में कई ऐसी विशेषताएं हैं, जो इसे अन्य देशों के संविधानों से अलग बनाती हैं:

  • मौलिक अधिकार: सभी नागरिकों को स्वतंत्रता, समानता और न्याय के अधिकार दिए गए हैं।
  • नीति-निर्देशक सिद्धांत: राज्य को सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है।
  • स्वतंत्र न्यायपालिका: न्यायपालिका संविधान के उल्लंघन करने वाले किसी भी कानून को अमान्य कर सकती है।
  • आरक्षण प्रावधान: सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों को अवसर प्रदान करने के लिए विशेष प्रावधान।

संविधान और लोकतंत्र

आज जब हम भारत के पड़ोसी देशों की स्थिति पर नज़र डालते हैं, तो पाते हैं कि कई देश अपनी आज़ादी को बनाए रखने में विफल रहे। इसके विपरीत, भारत का संविधान हमारे लोकतंत्र की नींव को मजबूत बनाए रखता है। चाहे वह सरकार के कार्यकारी, विधायी या न्यायिक अंगों का संतुलन हो या नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा, संविधान ने हर स्तर पर देश को एकजुट रखा है।

भारतीय संविधान की महानता

संविधान का निर्माण केवल कानूनी दस्तावेज तैयार करना नहीं था; यह एक दृष्टिकोण था, जो विविधताओं से भरे देश को एकजुट करने की क्षमता रखता था। संविधान की महानता इस बात में है कि यह समाज के सबसे कमजोर वर्गों को भी न्याय और समानता प्रदान करता है।

आज, जब दुनिया के कई लोकतंत्र संकट में हैं, भारत का संविधान एक प्रेरणा के रूप में उभरता है। यह हमारी एकता, अखंडता और विविधता का प्रतीक है।

गणतंत्र दिवस का महत्व

26 जनवरी 1950, केवल एक तारीख नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र और संविधान की विजय का प्रतीक है। इस दिन, हमने न केवल एक संविधान अपनाया, बल्कि दुनिया को यह संदेश दिया कि भारत अपनी विविधताओं और जटिलताओं के बावजूद, एकजुट और सशक्त बना रहेगा।

आज, जब मैं सीताराम पोसवाल भाजपा नेता के रूप में इस महान संविधान का स्मरण करता हूं, तो गर्व से मेरा सिर ऊंचा हो जाता है। हमारे संविधान की ताकत और इसकी स्थिरता ने हमें एक सशक्त राष्ट्र बनाया है।

एक अति पिछड़े वर्ग से आने के कारण मुझ सीताराम पोसवाल को हमेशा अहसास होता है कि एक विविधताओं से भरे देश के लिए संविधान का निर्माण करना कितना मुश्किल रहा होगा।

पिछड़े वर्गों के लिए संविधान में किए गए उपाय। मंडल आयोग की रिपोर्ट लागू करने में बीजेपी के सहयोग वाली सरकार की भूमिका बड़ी ही प्रभावी रही थी। लालकृष्ण आडवाणीजी के नेतृत्व वाली भाजपा के सहयोग से वीपी सिंह इस आयोग की सिफारिशों को लागू करते हैं तो निश्चित तौर पर भारत के करोड़ों पिछड़ों को अवसर मिलता है।

परन्तु बीते साल अमेरिकी धन के प्रभाव में आकर यहां की पार्टियों ने देश में ऐसा जहर घोला कि संविधान बदल दिया जाएगा। आरक्षण खत्म कर दिया जाएगा। ऐसा कैसे हो सकता है। हमारा महान संविधान इतना मजबूत है कि जब भारत आजाद हुआ तो दुनिया के कई देशों को आजादी मिली थी। परन्तु वे देश लोकतंत्र बहाल नहीं रख पाए।

भारत के महान संविधान की बदौलत ही यहां लोकतंत्र बचा हुआ है। हमारे पड़ोसियों के ही हाल देख लें तो अंदाजा हो जाएगा। इस महान संविधान को लागू करने के दिवस 26 जनवरी 1950 पर मैं सीताराम पोसवाल इस महान संविधान और उसकी महान परम्परा तथा हमारे महान भारतवर्ष को नमन करता हूं।

गणतंत्र दिवस के अवसर पर, हमें संविधान की रक्षा और इसके आदर्शों को बनाए रखने का संकल्प लेना चाहिए। यह केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, परंपरा और लोकतांत्रिक मूल्यों का संरक्षक है।

इस महान दिन पर, मैं सीताराम पोसवाल भारतीय संविधान, उसकी महान परंपराओं और हमारे अद्वितीय लोकतंत्र को नमन करता हूं। आइए, हम सब मिलकर इसे सशक्त और अडिग बनाए रखने में अपना योगदान दें।

सीताराम पोसवाल

ओबीसी मोर्चा, प्रदेश उपाध्यक्ष, भाजपा


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