राजस्थान का नाम लेते ही मेरे मित्र अक्सर कहते हैं सीताराम पोसवाल जी आपके यहां पर पानी का इतना संकट क्यों है? यह कब तक रहेगा? मैं अब उन्हें आश्वस्त करता हूं कि हमारे प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा जी और उनकी टीम अब इस छवि को पूरी तरह से बदलकर ही दम लेगी। नए साल में जब मुझे माननीय मुख्यमंत्री के इनीशिएटिव “कर्मभूमि से मातृभूमि” अभियान के बारे में पता चला तो अब विश्वास और प्रगाढ़ हुआ है कि वह दिन दूर नहीं जब राजस्थान की जल संकटग्रस्त वाले प्रदेश की छवि पूरी तरह से बदलने वाली है। चूंकि यह अभियान मूल रूप से हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी की दूरगामी सोच का परिणाम है। ऐसे में यह निश्चित तौर पर हमारे प्रदेश को एक उज्ज्वल और विकसित प्रदेश की ओर ले जाएगा।
भामाशाहों और प्रवासी राजस्थानियों का अभिनंदन: राजस्थान के विकास में उनका योगदान
राजस्थान, जिसे भामाशाहों का प्रदेश कहा जाता है, भारतीय इतिहास और वर्तमान में अपने महान व्यक्तित्वों और जन-भागीदारी के लिए प्रसिद्ध है। भामाशाह, जिन्होंने महाराणा प्रताप के संघर्ष में अपनी सम्पत्ति दान देकर इतिहास रचा, आज भी राजस्थान की संस्कृति और परम्पराओं में प्रेरणा का स्रोत हैं। वर्तमान में, राजस्थान के भामाशाह और प्रवासी राजस्थानी राज्य के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा जी के नेतृत्व में, राजस्थान ने विकास और समृद्धि की नई ऊंचाइयों को छुआ है। उनकी सरकार की नीतियों और योजनाओं ने न केवल राज्य के संसाधनों का संरक्षण सुनिश्चित किया है, बल्कि प्रवासी राजस्थानियों को उनकी मातृभूमि से जोड़ने का भी कार्य किया है। हमने जयपुर में आयोजित राइजिंग राजस्थान समिट में इसे खासा नजदीक से देखा कि सरकार प्रवासियों को उनकी जड़ों से जोड़े रखने को लेकर कितना गंभीर है और साथ ही प्रयत्नशील भी। राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी के एक युवा नेता के नाते मुझ सीताराम पोसवाल पर यह जिम्मेदारी भी बनती है कि मैं इन प्रयत्नों को और भी प्रभावी करूं। इसलिए लगातार विकास के इन अनूठे बिंदुओं को मैं यहां बताता रहता हूं।
बात करते हैं कि नया इनीशिएटव क्या है। तो वह है कि राजस्थान में भूजल स्तर की गिरावट को रोकने और जल संरक्षण की परम्पराओं को पुनर्जीवित करने के लिए मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा की पहल पर “कर्मभूमि से मातृभूमि” अभियान शुरू किया गया है। यह अभियान प्रवासी राजस्थानियों और स्थानीय भामाशाहों को एकजुट करते हुए जल संचयन में जनभागीदारी सुनिश्चित करने का प्रयास करता है। यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की “कैच द रेन” संकल्पना से प्रेरित है।
इस अभियान के तहत, राज्य सरकार ने सिरोही, पाली, जोधपुर, भीलवाड़ा, झुंझुनूं और जयपुर जिलों में रिचार्ज शाफ्ट संरचनाओं के निर्माण की शुरुआत की है। इन संरचनाओं के माध्यम से सतही जल का संचय और पुनर्भरण किया जाएगा, जिससे प्रदेश के 72 प्रतिशत भाग में व्याप्त अतिदोहित भूजल समस्या का समाधान हो सकेगा।
प्रवासी राजस्थानियों की भूमिका
प्रवासी राजस्थानी, जो अन्य राज्यों और देशों में अपनी कर्मभूमि बना चुके हैं, राजस्थान के विकास में अहम योगदान दे रहे हैं। उनके द्वारा दी जाने वाली वित्तीय और तकनीकी सहायता से राज्य में कई विकास कार्य संचालित हो रहे हैं। प्रवासी राजस्थानियों को इस अभियान में शामिल करने के लिए राज्य सरकार ने विशेष प्रयास किए हैं। क्राउड फंडिंग, सीएसआर फंडिंग, और व्यक्तिगत दान के माध्यम से वे अपने गांवों में जल संरचनाओं के निर्माण में सहायता कर सकते हैं। यह न केवल जल संकट का समाधान करेगा, बल्कि उन्हें अपनी मातृभूमि से जोड़ने का भी माध्यम बनेगा।
अन्य क्षेत्रों में योगदान
प्रदेश में लगातार शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार के क्षेत्र में भी प्रवासी राजस्थानियों का योगदान सराहनीय है। उनके द्वारा स्थापित संस्थान और चलाए जा रहे सामाजिक कार्यक्रम राजस्थान के लोगों के जीवन स्तर को सुधारने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं।
हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा जी के नेतृत्व में राजस्थान ने कई प्रभावशाली योजनाओं को लागू किया है। उनकी सोच और दृष्टिकोण ने राज्य को आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर किया है।
जल आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम
“कर्मभूमि से मातृभूमि” अभियान न केवल जल संरक्षण का एक प्रयास है, बल्कि यह राजस्थान को जल आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। मुख्यमंत्री की इस पहल ने प्रवासी राजस्थानियों और भामाशाहों को उनकी जिम्मेदारी का अहसास कराया है और उन्हें अपनी जड़ों से जोड़ने का प्रयास किया है।
मुख्यमंत्री श्री शर्मा की सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, और बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों में भी कई प्रभावी योजनाओं को लागू किया है। इन योजनाओं ने राजस्थान को विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
भामाशाहों और प्रवासी राजस्थानियों के योगदान से यह स्पष्ट होता है कि जब समाज के लोग अपने राज्य के प्रति जिम्मेदारी महसूस करते हैं, तो बड़े से बड़े लक्ष्य भी हासिल किए जा सकते हैं। यह अभियान न केवल जल संरक्षण का संदेश देता है, बल्कि हमें यह भी सिखाता है कि मातृभूमि के लिए योगदान देना हमारा नैतिक दायित्व है।
मैं सीताराम पोसवाल भामाशाहों और प्रवासी राजस्थानियों का तहेदिल से आभार व्यक्त करते हैं, जिन्होंने अपने प्रयासों और योगदान से राजस्थान को गौरवान्वित किया है। मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार उनके साथ मिलकर राजस्थान को और भी समृद्ध और स्वावलंबी बनाने के लिए तत्पर है। यह ब्लॉग उन सभी को प्रेरित करने का प्रयास है, जो अपनी मातृभूमि के लिए कुछ करने की इच्छा रखते हैं। आइए, मिलकर राजस्थान के विकास और समृद्धि की इस यात्रा में सहभागी जरूर बनें।
ओबीसी मोर्चा, प्रदेश उपाध्यक्ष, भाजपा
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