सवाईमाधोपुर जिले के खिरनी गाँव में जन्मे युवा उद्यमी एवं भाजपा के युवा नेता सीताराम पोसवाल(sitaram poswal young bjp leader) एक ऐसा नाम है जो युवाओं के विकास और उनके आत्मनिर्भर बनने के प्रयासों में निरंतर सक्रिय है। श्री सीताराम पोसवाल का युवा शक्ति में अटूट विश्वास है। वह कहते हैं “आत्मनिर्भर युवा ही समाज की प्रगति और समृद्धि के आधार होते हैं।” अपने इस विश्वास को मूर्त रूप देने के लिये वह युवाओं को विभिन्न व्यवसायिक कौशल सिखाने एवं स्व-रोजगार के लिए तैयार करने के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं।
श्री सीताराम पोसवाल का जन्म बहुत ही गरीब परिवार में हुआ और उन्हें अपनी आजीविका के लिये 14 वर्ष की उम्र से ही काम करना पड़ा। अपनी जीवटता एवं व्यावसायिक बुद्धि का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने अपने भाग्य को बदला और राजस्थान के प्रमुख व्यवसायियों में शामिल हुए। सीताराम पोसवाल संघर्ष के दिनों को याद करते हुए कहते हैं कि उन्हें यदि एक प्रशिक्षण या दिशा-निर्देश मिला होता तो वह और जल्दी सफल होते। वह मानते हैं कि उनके क्षेत्र के युवाओं में वह कौशल है कि वो अपना रोजगार कर सकें। इसी उद्देश्य की खातिर उन्होंने युवाओं को सिखाने के लिये कार्य प्रारंभ किया है।
युवाओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम
सीताराम पोसवाल द्वारा आयोजित यह प्रशिक्षण कार्यक्रम केवल तकनीकी कौशल तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इनमें व्यावसायिक कौशल, नेतृत्व क्षमता, और उद्यमिता के गुर भी सिखाए जाते हैं। इन कार्यक्रमों में भाग लेने वाले युवाओं को न केवल नई तकनीकों और व्यवसायिक ट्रेंड्स से अवगत कराया जाता है, बल्कि उनमें आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास हासिल करने पर भी ध्यान दिया जाता है।
समाज की प्रगति के लिए युवाओं का सशक्तिकरण
सीताराम पोसवाल का कहना है कि भारत आज अपनी युवा शक्ति के कारण चीन को कुछ ही वर्षों में पीछे छोड़ सकता है लेकिन अभी हमारी युवा शक्ति प्रशिक्षित और सशक्त नहीं है। यदि देश को प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाना है, तो इसके लिए युवाओं का सशक्तिकरण अत्यंत आवश्यक है।
आत्मनिर्भरता का संदेश
सीताराम पोसवाल भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से बहुत प्रभावित हैं। नरेंद्र मोदी द्वारा दिया गया आत्मनिर्भर भारत का नारा उनके दिल को छू गया। नरेंद्र मोदी चाय बेचते हुए आत्मनिर्भरता के कारण ही देश के प्रधानमंत्री बने। श्री पोसवाल भी इस तरह गरीब परिवार से आकर आत्मनिर्भर बने, अतः वह युवाओं को आत्मनिर्भरता का मंत्र देते हैं।
श्री सीताराम पोसवाल कहते हैं कि सरकारी नौकरियां सीमित हैं। वैश्वीकरण के दौर मे निजी क्षेत्र ही बढ़ेगा। युवा नौकरी करने की जगह नौकरी देने वाला बने। सीताराम पोसवाल अपने प्रशिक्षण कार्यक्रमों में आये युवाओं को यही संदेश देते हैं कि आत्मनिर्भरता ही सच्ची स्वतंत्रता है। वह उन्हें अपने संघर्ष के दिनों की कहानी सुनाते हुए बताते हैं कि किस प्रकार उन्होंने बाधाओं का सामना करते हुए आत्मनिर्भर होना चुना। आत्मनिर्भरता कितना महत्वपूर्ण है इसका उदाहरण वह स्वयं हैं।
छात्रवृत्ति
ऐसा नहीं कि श्री सीताराम पोसवाल सिर्फ प्रशिक्षण कार्यक्रम ही कर रहे हों। वह युवाओं की शिक्षा को सुचारु रूप से चलाने के लिये उन्हें छात्रवृत्ति भी प्रदान करते हैं। गरीब परिवारों में कोई बच्चा पैसे के अभाव से पढ़ाई न छोड़े ऐसी उनकी सोच है।
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जो युवा नौकरी ही करना चाहते हैं उनके लिये भी श्री सीताराम पोसवाल के योगदान(Sitaram Poswal contributions): वे लाइब्रेरी बनवा कर एवं कोचिंग कि व्यवस्था करवा कर उन्हें काम्पिटिशन की परीक्षाओं की तैयारी में सहयोग करते हैं। युवाओं के लिये सरकार द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों के बारे में भी वह युवाओं को सूचित करते हैं जिससे कि युवा इन सरकारी कार्यक्रमों का लाभ उठा कर अपनी शिक्षा दीक्षा को जारी रख सके।
टोंक – सवाईमाधोपुर क्षेत्र के युवाओं को सशक्त बनाने के लिये श्री सीताराम पोसवाल के ये प्रयास निस्संदेह प्रशंसनीय हैं और समाज के हर वर्ग को प्रेरित करते हैं। उनके द्वारा युवाओं के लिए किए जा रहे कार्य न केवल उनके भविष्य को उज्जवल बना रहे हैं, बल्कि समाज को भी एक मजबूत नींव प्रदान कर रहे हैं। सीताराम पोसवाल की यह पहल एक उदाहरण है कि किस प्रकार एक व्यक्ति अपने दृढ़ संकल्प और समर्पण से समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है।
इस प्रकार, सीताराम पोसवाल ने यह सिद्ध कर दिया है कि यदि युवा आत्मनिर्भर हों, तो समाज की प्रगति को कोई नहीं रोक सकता। उनके इस योगदान के लिए उन्हें धन्यवाद देना और उनके प्रयासों को सराहना हर किसी का कर्तव्य है।