भाजपा के शिखर पुरुष श्रद्धेय भारत रत्न लाल कृष्ण आडवाणी को शत—शत नमन
कभी संसद में मात्र दो सीटों से शुरूआत करने वाली एक छोटी सी राजनीतिक पार्टी, आज दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक पार्टी है। नाम भारतीय जनता पार्टी है और भारत के जनता के दिलों में राज करती है। तभी तो लगातार तीन बार संसद में बहुमत की सरकार के साथ यह दल भारत को अखिल विश्व में प्रतिष्ठित कर रहा है। हालांकि यह यात्रा आसान नहीं है, लेकिन इस यात्रा में यदि सबसे बड़े और जनप्रभावी आंदोलनों को खड़े करने वाले शिखर पुरुष का नाम पूछा जाए तो श्रद्धेय भारत रत्न लाल कृष्ण आडवाणीजी पहले नम्बर पर हैं। आज उनका जन्मदिन हैं और मैं सीताराम पोसवाल राजस्थान भाजपा का एक छोटा सा सदस्य होने के नाते उन्हें शत—शत नमन करता हूं।
श्रद्धेय लाल कृष्ण आडवाणीजी का नाम भारत की राजनीतिक विचारधारा में एक ऐसे शख्सियत के रूप में दर्ज है। जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी की स्थापना ही नहीं की अपितु उसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक प्रभावी पहचान भी दी। किसे पता था कि 8 नवंबर 1927 को कराची में एक सिन्धी हिंदु पैदा हुए आडवाणी एक दिन दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के पुरोधा बनेंगे, भारत देश के गृहमंत्री और उप प्रधानमंत्री बनेंगे। और अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री बनने का आधार बनेंगे। यही नहीं हमारे वर्तमान यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीजी को भी आडवाणीजी का विशेष स्नेह, सहयोग और मार्गदर्शन हमेशा प्राप्त हुआ।
एक युवक जिसने विभाजन की त्रासदी देखी, परिजनों पर अत्याचार देखे और जन्मभूमि को छोड़ने की मजबूरी सही। भारत विभाजन की त्रासदी और संघर्ष ने आडवाणीजी के अंदर राष्ट्र निर्माण की प्रेरणा को और गहरा किया, जो हमेशा ही राजनीति में युवाओं का मार्ग प्रशस्त करती है।
आडवाणीजी ने महज चौदह वर्ष की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में प्रवेश किया। उन्होंने विभाजन के बाद राजस्थान में आरएसएस प्रचारक के रूप में प्रभावी और उल्लेखनीय कार्य किया। 1951 में जब देश के महान नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भारतीय जनसंघ की स्थापना करी तो आडवाणीजी ने भी जनसंघ का दामन थामा। इस दौरान उन्होंने अपनी संगठनात्मक क्षमता का भरपूर प्रदर्शन किया। उनके नेतृत्व में राम भगवान की रथ यात्रा और उच्च-सुरक्षा नीतियों से लेकर विपक्ष के नेता और उप-प्रधानमंत्री के रूप में उल्लेखनीय योगदान हमेशा याद किया जाता है और हमें प्रेरणा भी देता है। 2015 में पद्म विभूषण और 2024 में भारत रत्न से सम्मानित आदरणीय लाल कृष्ण आडवाणी जी का जीवन संघर्ष, सिद्धांत और निष्ठा का प्रतीक है।
लाल कृष्ण आडवाणीजी भारतीय जनता पार्टी की स्थापना और नेतृत्व
1980 में जब भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ। तब श्रद्धेय लाल कृष्ण आडवाणीजी और अटल बिहारी वाजपेयी के साथ मिलकर संगठनात्मक क्षमताओं का अद्भुत परिचय दिया। आडवाणीजी का हमेशा से ध्येय भारत में वैचारिक राष्ट्रवाद और सांस्कृतिक परंपराओं की रक्षा करना ही रहा। भारतीय जनता पार्टी का यह सिद्धांत हिंदुत्व के विचार पर आधारित था और इसमें आडवाणीजी की भूमिका अहम रही। इसके बाद उन्होंने तीन बार भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष के रूप में पार्टी का नेतृत्व किया और इसे राष्ट्रीय राजनीति में प्रमुख स्थान दिलाने में अपनी प्रभावी भूमिका निभाई।
आडवाणी ही थे, जो 1973 से 1977 तक जनसंघ की अध्यक्षता करते हैं और इंदिरा गांधी की सरकार को 1977 में उखाड़ फेंकने में अहम धुरी बनते हैं। 1980 से 90 के देश में उन्होंने बतौर अध्यक्ष भाजपा की जड़ें पूरे देश में जमाई। उनकी सदारत में भाजपा में हजारों की संख्या में कार्यकर्ता तैयार हुए जो आज देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इससे पहले बतौर जनसंघ के नेता उन्होंने मोरारजी देसाई की सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की जिम्मेदारी भी बखूबी संभाली थी।
आडवाणीजी के नेतृत्व में राम जन्मभूमि आंदोलन और रथ यात्रा
लाल कृष्ण आडवाणी जी के ही नेतृत्व में राम जन्मभूमि आंदोलन के समय “राम रथ यात्रा” निकाली गई थी। यह यात्रा भारतीय राजनीति का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई थी। इसी यात्रा ने बीजेपी को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूती दी। इसी यात्रा ने भाजपा को एक बड़ी राजनीतिक ताकत बनाया और हम जैसे लाखों कार्यकर्ताओं को गर्व से क्षण दिए। लालकृष्ण आडवाणी ने हिंदू राष्ट्रवाद और हिंदुत्व को जनसामान्य में प्रचारित करने के लिए जो योगदान दिया। वह हमेशा ही याद किया जाता रहेगा।
केंद्रीय मंत्री और उप-प्रधानमंत्री के रूप आडवाणीजी का में योगदान
1998 में NDA की सरकार बनने के बाद आडवाणी जी को गृह मंत्री बनाया गया। वर्ष 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में ही लालकृष्ण आडवाणी जी को उप-प्रधानमंत्री का पद सौंपा गया। इस पद पर रहते हुए श्रद्धेय आडवाणीजी ने सुरक्षा, आतंकवाद, और प्रशासनिक सुधारों में महत्वपूर्ण कार्य किए। श्रद्धेय आडवाणी जी की नीतियों के चलते ही देश में आंतरिक सुरक्षा का स्तर उन्नत हुआ और राष्ट्रीय सुरक्षा पहली प्राथमिकता बना। आडवाणजी ने आतंकवाद के खिलाफ कठोर नीतियों को अपनाया और भारत के सुरक्षा ढांचे को अनूठी प्रदान की।
विपक्ष के नेता के रूप में लाल कृष्ण आडवाणी जी
भारत रत्न लाल कृष्ण आडवाणी जी ने लोकसभा में हमेशा ही विपक्ष के नेता के रूप में एक लंबी सेवा दी। उनके नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने एक मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाई थी। उन्होंने कांग्रेस और अन्य सत्ताधारी दलों की नीतियों की प्रभावी आलोचना करते हुए अपनी पार्टी की नीतियों को जनता के समक्ष खासी मजबूती से रखा। कहना गलत नहीं होगा कि आडवाणीजी के नेतृत्व ने भारतीय लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका को मजबूत किया और राजनीतिक जिम्मेदारी का उदाहरण प्रस्तुत किया।
पद्म विभूषण और भारत रत्न से सम्मानित
आडवाणी जी के योगदान को राष्ट्र ने भी सराहा। 2015 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया और 2024 में भारत रत्न, देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, प्रदान किया गया। यह सम्मान उनके राष्ट्र निर्माण में दिए गए अतुलनीय योगदान का प्रतीक है।
श्री सीताराम पोसवाल द्वारा आदरांजलि
में सीताराम पोसवाल समाज सेवक जो स्वयं बीजेपी और आरएसएस जैसे संगठनों में पुरोधा रहे आडवाणी जी को एक ऐसे प्रेरक व्यक्तित्व के रूप में देखता हूं। जिन्होंने पूरा जीवन लगाकर बीजेपी को मजबूत किया और अपनी विचारधारा के साथ देश में एक नयी दिशा दी। यह तथ्य बिल्कुल साफ है कि “हमारे सामने लाल कृष्ण आडवाणी जी का जीवन एक प्रेरणा है। उनकी निष्ठा, धैर्य और देशभक्ति का आदर्श हमें सिखाता है कि कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता।”
आदरणीय लाल कृष्ण आडवाणी का राजनीतिक जीवन संघर्ष, सिद्धांत और निष्ठा का प्रतीक है। भारतीय राजनीति में उनके योगदान को कभी भी नहीं भुलाया जा सकता। भारतीय जनता पार्टी और भारतीय राजनीति में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। उनके विचारों और आदर्शों का अनुसरण करते हुए आने वाली पीढ़ियाँ देश सेवा में अपने कदम बढ़ाएंगी।
जय हिंद!
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